दलित समाज के पथप्रदर्शक व क्रांति की आवाज डॉ भीमराव अंबेडकर जी

Last Updated on 9 months by Dr Munna Lal Bhartiya

डॉ. भीमराव अंबेडकर
राज्यसभा में उनके योगदान का प्रभाव

भारत रत्न संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर जी न केवल एक प्रखर विधिवेत्ता और समाज सुधारक थे, बल्कि वे भारतीय राजनीति के एक महत्वपूर्ण स्तंभ भी थे। उन्होंने अपने जीवन के हर चरण में समाज के वंचित और शोषित वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष किया। जब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी राज्यसभा के सदस्य बने तब भी उन्होंने सामाजिक न्याय, समानता और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए संघर्ष जारी रखा ।

राज्यसभा मे डॉ. भीमराव अंबेडकर जी का आगमन एक ऐतिहासिक मोड़


डॉ. भीमराव अंबेडकर भारतीय इतिहास के उन महान नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने सामाजिक न्याय, समानता, और लोकतंत्र के सिद्धांतों के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। बाबा साहब की भूमिका केवल संविधान निर्माण तक सीमित ही नहीं थी वरन् बाबा साहब भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार थे। 1952 में राज्यसभा में उनका आगमन भारतीय राजनीति और सामाजिक सुधारों के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण था।

यह भी पढ़ें

हिंदू कोड बिल

डॉ. अंबेडकर ने राज्यसभा में हिंदू कोड बिल का पुरजोर समर्थन किया। यह विधेयक महिलाओं को समान अधिकार देने के लिए था। उन्होंने तर्क दिया कि अगर महिलाओं को समानता नहीं दी गई, तो भारतीय समाज कभी प्रगति नहीं कर सकेगा। हालांकि, यह विधेयक पारित नहीं हो पाया, लेकिन अंबेडकर ने अपने प्रयासों से महिलाओं के अधिकारों की नींव रखी।


राज्यसभा में डॉ. अंबेडकर ने बार-बार आर्थिक असमानता को समाप्त करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उनका मानना था कि सामाजिक समानता तभी संभव है जब आर्थिक संसाधनों का वितरण समान रूप से हो। उन्होंने भूमि सुधार, श्रमिक अधिकार, और आरक्षण नीतियों को लेकर महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किए।

जाति प्रथा का उन्मूलन


डॉ. अंबेडकर ने राज्यसभा में जाति प्रथा को भारतीय समाज की सबसे बड़ी बुराई बताया। उन्होंने कहा कि जब तक जातिगत भेदभाव समाप्त नहीं होगा, तब तक भारत वास्तविक लोकतंत्र नहीं बन सकता। उन्होंने संसद के मंच से दलितों के लिए समान अवसरों की आवश्यकता को मुख्य रूप से उठाया।

अंतिम दिन और उनकी विरासत

बाबा साहब की तबियत 1950 के दशक के प्रारंभ से ही खराब रहने लगी लेकिन राज्यसभा में उनके विचार हमेशा स्पष्ट और दृढ़ रहे। 6 दिसंबर 1956 को उनका निधन हो गया, लेकिन राज्यसभा में उनके भाषण आज भी प्रेरणादायक हैं।

डॉ. भीमराव अंबेडकर का राज्यसभा में होना भारतीय लोकतंत्र के लिए एक वरदान था। उन्होंने न केवल संसद को एक नई दिशा दी, बल्कि भारत के संविधान में निहित मूल्यों को भी मजबूत किया। आज भी उनकी सोच और विचार हमें प्रेरित करते हैं कि हम एक समान, न्यायपूर्ण, और समतामूलक समाज के लिए काम करें। उनके योगदान को याद करना, न केवल इतिहास को जानना है, बल्कि एक बेहतर भविष्य का निर्माण करना भी है।


Follow Us On Instagram

@Gyaan hi Safalta


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x