Last Updated on 6 days by Dr Munna Lal Bhartiya
भारतीय इतिहास को जानने के लिए इसे तीन स्त्रोतों में विभाजित किया जा सकता है भारतीय इतिहास ( प्राचीन भारत ) को पूर्ण रूप से पढ़ने के लिए हमें इसे भागो में विभाजित करना होगा
साहित्यिक साक्ष्य
साहित्यिक साक्ष्य के अंतर्गत इसमें ग्रंथों से प्राप्त ऐतिहासिक वस्तुओं का अध्ययन किया जाता है साहित्यिक साक्ष्य के दो प्रकार है या यह भी कह सकते है इसे दो भागो में वर्गीकृत किया गया है
- धार्मिक साहित्य
- लौकिक साहित्य

धर्म ग्रन्थ
प्राचीन काल से ही भारत धर्म प्रधान देश है वैदिक, जैन एवं बौद्ध प्रवाहित हुई
वेद एक महत्वपूर्ण ब्राह्मण धर्म ग्रंथ है वेद शब्द का अर्थ ज्ञान अर्थात पवित्र एवं अध्यात्मिक ज्ञान है यह शब्द संस्कृत का है विद् का अर्थ होता है जानना वेदों के संकलनकर्ता कृष्णा द्वैपायन थे वैदिक ऋषि मुनि जो ईश्वरीय संदेश प्राप्त करते थे उन्हें संदेशों का संकलन वेद कहलाया है।

ऋग्वेद
ऋग्वेद चारों वेदों में सर्वाधिक प्राचीन वेद ऋग्वेद को ही माना गया है यह जानकारी इतिहास से प्राप्त है ऋग्वेद का अर्थ होता है ऐसा ज्ञान जो ऋचाओं के बद्ध हो।
यजुर्वेद
यजुर्वेद को यज्ञों का वेद कहा जाता है। इसमें यज्ञ में बोले जाने वाले मंत्रों के साथ-साथ उनकी विधियों का भी वर्णन है। यह वेद मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित है शुक्ल यजुर्वेद और कृष्ण यजुर्वेद। यह ग्रंथ यज्ञ के दौरान किस समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए यह बताता है
सामवेद
सामवेद को संगीत का स्रोत माना जाता है। इसमें ज्यादातर मंत्र ऋग्वेद से लिए गए हैं, लेकिन यह मंत्रों को खास ढंग से गाने के लिए तैयार किया गया है। यह वेद विशेष रूप से यज्ञों के दौरान मंत्रों को संगीतबद्ध रूप में गाने के लिए उपयोग किया जाता था। सामवेद ने भारतीय शास्त्रीय संगीत की नींव रखी थी।
अथर्ववेद
अथर्ववेद अन्य वेदों से कुछ भिन्न है क्योंकि इसमें जादू-टोना, औषधि, रोग निवारण, घरेलू जीवन, आयुर्वेद से संबंधित ज्ञान मिलता है। यह वेद जीवन के व्यवहारिक पक्ष को दर्शाता है। इसमें शांति मंत्र, चिकित्सा प्रयोग और समाज के कल्याण हेतु कई उपाय बताए गए हैं।
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