Hindi Inspirational Stories: हीरे की पहचान सिर्फ जौहरी को होती है

Gautam Buddha inspirational stories

Last Updated on 2 years by Dr Munna Lal Bhartiya

एक गांव में एक व्यक्ति रहता था जो कि अपने आप को दुनिया का सबसे दुखी व्यक्ति समझता था उसे लगता था कि दुनिया की सारी समस्याएं उसी के पास है उसके गांव वाले ही नहीं उसके घर परिवार के लोग भी उससे खुश नहीं रहते थे घर परिवार में भी उसके लड़ाई झगड़े होते रहते थे उसके विचार किसी से भी मेल नहीं खाते थे। जबकि वह करुणा दया अच्छाई के भाव से परिपूर्ण व्यक्ति था दूसरों की मदद करने से वह कभी पीछे नहीं हटता था उसके मन में सभी के लिए सेवा का भाव रहता था वह अत्यंत प्रभावशाली एवं गुणवान व्यक्ति था ।

इसलिए उसके समझ में यह नहीं आता था कि फिर क्यों उसके जीवन में इतनी कठिनाइयां है, इसीलिए वह अपने जीवन से दुखी होकर कहीं दूर जा रहा था तभी रास्ते में उसकी मुलाकात तथागत गौतम बुद्ध से हुई उन्होंने उस व्यक्ति से पूछा कि वह दुखी क्यों है? उस सज्जन व्यक्ति ने अपने जीवन का पूरा घटनाक्रम उन्हें बताया।

तथागत गौतम बुद्ध ने उस व्यक्ति को क्या दिया ?

गौतम बुद्ध ने उस व्यक्ति को एक पत्थर दिया और कहा कि इस पत्थर की कीमत लोगों से जाकर पूछो लेकिन इस पत्थर को बेचना नहीं है, उस व्यक्ति ने ऐसा ही किया वह सबसे पहले बाजार में एक फल वाले के पास गया और फल वाले से उस पत्थर की कीमत पता कि तो उस फल वाले ने कहा कि इस पत्थर के बदले तुम मुझसे एक दर्जन कोई सा भी फल ले सकते हो। फिर वह आगे चला गया जहां उसने एक सब्जी वाले से उस पत्थर के बारे में पूछा उस पत्थर के बदले तुम मुझसे कोई भी सब्जी पांच किलो लेकर जा सकते हो। चलते-चलते वह एक लुहार की दुकान पर पहुंच लुहार ने उसे उस पत्थर के बदले कुछ भी देने से इनकार कर दिया बोला कि यह पत्थर उसके किसी काम का नहीं है।

जौहरी ने उस व्यक्ति से क्या कहा ?

वह व्यक्ति लुहार के पास से भी लौट आया तभी उसे रास्ते में एक जौहरी मिला उस जौहरी ने रास्ते में उसे रोक लिया और उस पत्थर के बारे में पूछने लगा जौहरी ने पत्थर के बदले उसे एक हजार स्वर्ण मुद्राएं देने के लिए कहा लेकिन उस व्यक्ति ने मना कर दिया जौहरी ने फिर आग्रह किया आप खुद बताए उसके बदले में आप को क्या चाहिए में आप को वही दे दूंगा लेकिन उस व्यक्ति ने जौहरी को पत्थर बेचने से इनकार कर दिया।

व्यक्ति ने जौहरी को पत्थर क्यों नहीं दिया

लाख समझाने पर भी जब वह व्यक्ति उस पत्थर को बेचने के लिए नहीं माना तो जौहरी ने बताया कि यह पत्थर अनमोल है, वह कोई मामूली पत्थर नहीं है यह एक रत्न है इसलिए वह उससे इस पत्थर को खरीदना चाहता है उसे व्यक्ति ने उसे बताया कि यह पत्थर उसका नहीं है केवल इस पत्थर की कीमत पता करने के लिए उसे यह पत्थर दिया गया था इस पत्थर को बेचना नहीं है।

also read – ज्योतिबा फुले जीवनी

also read – महान क्रांतिकारी समाज सुधारक ज्योतिबा फुले

यह सुनकर जौहरी वहां से चला गया और व्यक्ति भी उसे पत्थर को लेकर गौतम बुद्ध के पास वापस आया गौतम बुद्ध ने उस व्यक्ति से पूछा कि क्या तुम्हारी समस्याएं खत्म हुई मैंने तुम्हें जो पत्थर दिया था उससे तुम्हें कुछ समझ आया तो व्यक्ति ने उस पत्थर को लेकर पूरा घटनाक्रम गौतम बुद्ध को बताया तो गौतम बुद्ध ने उसे व्यक्ति को समझाया कि जिस व्यक्ति के पास जितना ज्ञान था उसने उस ज्ञान से इस पत्थर की कीमत का आंकलन किया। जिसे जितना समझ में आया उसने उतनी कीमत बता दी लेकिन जौहरी ने उसकी सही कीमत आंकी क्योंकि जौहरी को इस पत्थर के बारे में ज्ञान था।

तथागत गौतम बुद्ध द्वारा दिया गया ज्ञान

इसी प्रकार हर व्यक्ति हर दूसरे व्यक्ति को अपने ज्ञान के अनुसार ही समझता है इसलिए तुम्हें दुखी नहीं होना चाहिए। अगर इस संसार में अगर कोई तुम्हारी अच्छाई की कीमत नहीं समझ रहा है तो वह अज्ञानी है तुम्हारे गुणों की कीमत एक अच्छा और ज्ञानी व्यक्ति ही समझ सकता है क्योंकि असली हीरे की पहचान सिर्फ जौहरी के पास होती है ना की किसी साधारण व्यक्ति के पास जब आप गुणवान व्यक्ति हैं तो आपसे कोई साधारण व्यक्ति कैसे खुश हो सकता है यह सुनकर उस व्यक्ति का ज्ञान के चक्षु खुल गए और वह सहर्ष अपने घर वापस लौट गया।

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
Scroll to Top
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x