Last Updated on 2 years by Dr Munna Lal Bhartiya
होम्योपैथि के जनक डॉ सैमुअल हैनिमेन का जन्म 10 अप्रैल 1755 को जर्मनी के मैसन नामक स्थान पर हुआ था। डॉ हैनिमेन होम्योपैथी की खोज की होम्योपैथी चिकित्सा की शुरुआत की और होम्योपैथी को विश्व भर में प्रसिद्धि दिलाई। डॉ हैनिमेन महा ज्ञानी व दार्शनिक व्यक्तित्व के धनी थे। डॉ हैनिमेन के अंदर मानव सेवा की अद्वितीय भावना थी, हैनिमेन ने अपनी स्कूली शिक्षा के दौरान स्कूल की छुट्टियों के दिनों में एक बहुत ही असाधारण विषय पर निबंध लिखा जिसका नाम था मानवीय हाथों की अद्भुत रचना ।
उनके इस निबंध को पढ़कर लोगों ने हैनिमेन की प्रतिभा व दार्शनिकता की अत्यंत सराहना की। उन्होंने होम्योपैथी के विकास हेतु विनिया की यात्रा की तथा अस्पतालों में होम्योपैथिक दवाएं बनाने का अभ्यास किया।
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होम्योपैथी को समर्पित हैनिमेन
सन् 1779 मैं एनिमल स्नातक की उपाधि हासिल की होम्योपैथी को समर्पित हैनिमेन की मेहनत ने सर्वप्रथम होम्योपैथी को जर्मनी में सफलता दिलाई । तत्पश्चात धीरे-धीरे यूरोप तथा अमेरिका आदि देशों में होम्योपैथी को सफलता मिलनी शुरू हुई। और डॉ सैमुअल हैनिमेन की मेहनत वह होम्योपैथी के प्रति उनके समर्पण का ही परिणाम है कि आज चिकित्सा क्षेत्र में होम्योपैथी चिकित्सा विश्व में अपनी कार्य क्षमता का लोहा मनवा चुकी है।
डॉ हैनिमेन ने प्राणी मात्र की जीवन रक्षा हेतु अनेक बहुमूल्य व असरकारक औषधियों का निर्माण किया जो कि आज विश्व भर के लोगों के लिए जीवनदायिनी साबित हो रही है। सन् 1822 मैं होम्योपैथी तिमाही समाचार पत्रों में हैनिमेन की नीतियों से प्रेरित अनेक योग्य व उत्साहजनक लेख प्रकाशित किए गए थे जिससे लोगों को होम्योपैथिक चिकित्सा के बारे में विस्तृत जानकारी मिल सके होम्योपैथिक औषधियों के बारे में विस्तार से समझ सके।
डॉ हैनिमैन के एक मित्र थे जिनका नाम डॉ वान कयेटिन था। उन्होंने होम्योपैथी को इस मुकाम तक पहुंचाने में डॉ हैनिमेन की मदद की, भारत में सर्वप्रथम होम्योपैथी चिकित्सा की जानकारी हेतु सन 1836 में सेवानिवृत्त डॉ सैमुअल बुकलिंग ने मद्रास में तैनात ऑफिसर्स को होम्योपैथिक औषधियों का वितरण किया तथा उन्हें होम्योपैथी चिकित्सा की जानकारी दी। डॉ हैनिमैन ने होम्योपैथी चिकित्सा की एक पुस्तक लिखी जिसका नाम मैटेरिया मैडिका था।
इस पुस्तक के 6 खंड थे। इसी प्रकार अपने अद्वितीय प्रतिभा के साथ होम्योपैथी के विकास को आगे बढ़ाते हुए संसार को होम्योपैथी की अद्भुत चिकित्सा प्रदान करने वाले डॉ सैमुअल हैनिमेन 02 जुलाई 1843 को इस संसार से हमेशा के लिए विदा हो गए ।
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