Last Updated on 2 years by Dr Munna Lal Bhartiya
एक दिन तथागत गौतम बुद्ध एक गाँव मे एक आम के पेड़ की नीचे ध्यानमग्न होकर बैठे थे, उसी पेड़ के समीप कुछ बालक गेंद से खेल रहे थे तभी एक हवा का तेज झौंका आया और उस झौंके से एक आम टूटकर बच्चों के पास जमीन पर गिर पड़ा आम को देखकर बच्चो के मन मे पेड से आम तोड़कर खाने की इच्छा जागृत हुई, सभी बच्चो ने बिना समय गवाए पत्थर उठाए और आम के पेड़ पर मारने लगे उसी पेड़ के नीचे गौतम बुद्ध साधना मे लीन थे।
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बच्चो द्वारा फेंके हुए कुछ पत्थर पेड मे लगते तो कुछ आम में लगते तो कुछ पत्थर गौतम बुद्ध के शरीर मे लगते लेकिन बच्चों को पत्थर फेकने मे बहुत आनन्द आ रहा था क्योंकि बच्चों को मीठे मोठे आम जो खाने के लिए मिल रहे थे। बच्चों का इस ओर ध्यान ही नही गया कि कुछ पत्थर गौतम बुद्ध के शरीर पर भी लग रहे है तभी एक बच्चे द्वाय फेंका हुआ पत्थर गौतम बुद्ध के सर मे पड़ गया गौतम बुद्ध के सर से खून बहने लगा और उनकी आँखो से आँसू झलकने लगे।

यह दृश्य देखकर सारे बच्चे भयभीत हो गए और उनके पैरो को स्पर्श करके क्षमा माँगने लगे और खुद भी रोने लगे तभी गौतम बुद्ध ने बच्चों के सर पर हाथ फेर कर उन्हे चुप कराया और बच्चो से रोने का कारण पूछा, बच्चो ने उत्तर दिया कि हमारे फेके हुए पत्थर से आप को चोट आयी और आपको कष्ट हुआ इस पीड़ा से हम रो रहे है यह कहकर बच्चे पुन: माफी मांगने लगे गौतम बुद्ध ने बच्चों को समझाया की अपनी सर की चोट के कारण उनकी आँखों से आसूं नही झलकें है।
उनकी आंखों में नमी का कारण तो दूसरा है उन्होंने बच्चों को बताया की आप सब लोगो ने आम के पेड़ पर पत्थर मारे तो आप को खाने के लिए मीठे – मीठे आम प्राप्त हुए। लेकिन आप के पत्थर मुझे पड़े तो में तो आप को कोई खुशी नही दे पाया बल्कि मैंने आप सब को भयभीत कर दिया, आप सभी बच्चों का भयभीत चेहरा देख कर मेरी आखों से आसूं झलकने लगे।
गौतम बुद्ध ने बच्चों को समझाया कि फलदार पेड़ हो या गुणवान व्यक्ति अगर वह मीठा है और अच्छाईयों से सम्पुर्ण हो तो उसे इस संसार द्वारा दी गयी पीड़ा सहन करनी ही होगी और पलट कर वार न करना उसके भीतर की भलाई का एक और गुण होता है बच्चों ने प्रश्न किया कि ऐसे पीड़ा सहकर तो फलदार पेड़ और गुणवान व्यक्ति दोनों ही संसार से नष्ट हो जाएंगे और फिर इस संसार का क्या होगा गौतम बुद्ध ने उत्तर दिया कि संसार से अच्छाई कभी नष्ट नही हो सकती फलदार पेड़ को लोग पत्थर मारकर सिर्फ उसके फल को ही गिरा सकते है।
पत्थर मारकर पेड़ को नहीं इस प्रकार गुणवान व्यक्ति को आप पीड़ा पहुंच कर रुला सकते हो, डरा सकते हो लेकिन झुका नहीं सकते उस व्यक्ति के गुण उसे किसी भी परिस्थिति में झुकने नहीं दे सकते गिरने नहीं दे सकते इसीलिए हमेशा सच्चे मार्ग पर ही चलना चाहिए रास्ता कितना भी कठिन क्यों ना हो।