जातिवाद – आजाद भारत का घृणित स्वरूप

जातिवाद – आजाद भारत का घृणित स्वरूप देश में विकास की तरक्की के केवल खोखले दावे किए जाते हैं, जबकि सच्चाई इन सब के विपरीत होती है। सही मायने में देखा जाए तो आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी भारत पूरी तरह से आजाद se नहीं कहा जा सकता। आज भी भारतीय […]

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