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सम्राट अशोक की जीवनी
प्राचीन भारत के मौर्य वंश के सबसे लोकप्रिय व शक्तिशाली मारा सम्राट अशोक जी जो विश्व प्रसिद्ध भारतीय मौर्य शासक है
नाम | सम्राट अशोक |
जन्म | 304 ईo पूर्व |
स्थान | पाटलिपुत्र |
पिता का नाम | बिंदुसार |
माता का नाम | शुभाद्रंगी ( रानी धर्मा ) |
पत्नी का नाम | देवी कारुवाकी पद्मावती तिष्यरक्षिता |
संतान | महेंद्र, संघमित्रा, तिवल कुणाल, चारुमति |
मृत्यु | 232 ईo पूर्व |
स्थान | पाटलिपुत्र पटना |
कलिंग युद्ध का इतिहास (अशोक विजयदशमी )

सम्पूर्ण भारत मे मनायी जाने वाली विजयदशमी हिंसा के मार्ग को त्यागकर अहिंसा के मार्ग पर चलने का संदेश देती है। विजयदशमी का अन्य नाम अशोक विजय दशमी भी है।
भारतीय मौर्यवंश के पराक्रमी व प्रतापी सम्राट अशोक का जन्म सन् 304 ई० पूर्व पाटलीपुत्र में हुआ था इनके पिता का नाम बिन्दुसार तथा माता का नाम शुभांद्रागनी है यह मौर्य वंश के सबसे शक्तिशाली पराक्रमी सम्राट थे ।
सम्राट अशोक द्वारा लड़ा हुआ कोई भी युद्ध सम्राट अशोक कभी हारे नही सम्राट अशोक कोई भी युद्ध जीतने में निपुण थे, उन्ही युद्ध मे से एक था कलिंग का युद्ध ।
कलिंग का युद्ध सम्राट अशोक के लिए जीतने एक बहुत बड़ी प्रतिष्ठा का विषय बन गया था इस युद्ध में उनके कई सैनिक मारे गए थे, उनके राज्य के कई परिवार तबाह हो गए थे लेकिन उन्होंने अपने तेज और प्रताप से कलिंग पर विजय हासिल कर ली कलिंग युद्ध में हुई हिंसा के कारण सम्राट अशोक का हृदय परिवर्तन हो गया उन्होंने अपने शस्त्र त्याग दिए और हिंसा छोड़कर अहिंसा का मार्ग चुन लिया और बौद्ध धर्म को अपना लिया।
जब सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध जीता और अपने शस्त्र त्याग कर वे हिंसा छोड़ अहिंसा के मार्ग पर चलने का संकल्प किया उस दिन से राज्य में अशोक विजयदशमी का उत्सव मनाना शुरू कर दिया 10 दिनों तक उनके राज्य में प्रजा को भोजन कराया गया तथा पूरे राज्य में दीप जलाकर खुशियों मनाई गई ।
अशोक विजयदशमी के दिन ही सन 1956 में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने महाराष्ट्र में पांच लाख लोगों के साथ बौद्ध धर्म को अपनाया और भारत देश की आजादी के बाद बौद्ध धर्म का परचम संपूर्ण भारत में फहराया उस दिन से हर साल लोग अशोक विजयदशमी पर बौद्ध दीक्षा ग्रहण कर बौद्ध अनुयाई बनते हैं ।